राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस

    राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस हर साल धन्वंतरि जयंती, यानी धनतेरस के दिन मनाया जाता है। यह दिन आयुर्वेद के महत्व को उजागर करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देने के लिए मनाया जाता है। आयुर्वेद को भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप में सम्मानित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 2016 में इस दिन को आयुर्वेद दिवस के रूप में घोषित किया था।

    इस दिन का उद्देश्य न केवल लोगों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता फैलाना है, बल्कि इसे मुख्यधारा में शामिल करना भी है ताकि लोग आयुर्वेदिक तरीकों को अपने जीवन में अपना सकें। विभिन्न आयुर्वेद संस्थानों, अस्पतालों, और मेडिकल कॉलेजों द्वारा इस दिन कई जागरूकता कार्यक्रम, सेमिनार, और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों, औषधियों, और दिनचर्या पर जोर दिया जाता है।

   धन्वंतरि हिंदू धर्म में स्वास्थ्य, चिकित्सा, और आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं। उन्हें देवताओं का चिकित्सक कहा जाता है और आयुर्वेद का जनक माना जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत (अमरत्व का अमृत) निकला, तो धन्वंतरि ने अमृत कलश के साथ प्रकट होकर देवताओं को अमरत्व का वरदान दिया। उनकी छवि आमतौर पर चार हाथों वाले एक देवता के रूप में होती है, जिनके हाथों में शंख, चक्र, औषधि, और अमृत कलश होते हैं।

      धनतेरस के दिन धन्वंतरि का पूजन किया जाता है, जो स्वास्थ्य और दीर्घायु के प्रतीक माने जाते हैं। उन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान का आदिगुरु माना जाता है, और उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति की मान्यता है। उनके द्वारा दिए गए चिकित्सा ज्ञान और आयुर्वेद के सिद्धांत आज भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में उपयोग किए जाते हैं।